काबा किस मुंह से जाओगे ग़ालिब?
''क्या सोच रहे हैं साहब?''
''बस ऐसे ही रोहिंग्या मुसलमानों के बारे में.''
''क्या मज़ाक कर रहे हैं?आप और रोहिंग्या मुसलमानों के बारे में?''
''क्यूं, मैं नहीं सोच सकता?''
''क्यों नहीं सोच सकते.हा हा हा.''
''कितना अच्छा मौका था न.''
''क्या मौका?''
''अरे यही अपनी ईमेज ठीक करने का.सोचिये अगर हम रोहिंग्या को शरण दे देते तो कितना मज़ा आता न?वर्ल्ड मीडिया में छा जाते.नोबेल प्राइज भी मिल सकता था.''
''अकेले या संयुक्त रूप से?''
''संयुक्त रूप से.वाह ! शान्ति के लिए एक देश से एक साथ दो लोगों को नोबेल.वाह ! नोबेल पुरस्कार विजेता माननीय मोदीजी, माननीय अमित शाहजी.''
''ठीक है, ठीक है.मगर वोट आपको हिन्दुओं से लेना है या मुसलमानों से?''
''हिन्दुओं से.''
''तब आप उनकी चिंता क्यों कर रहे हैं?''
''आपने भी मान लिया न कि मैं कितना बड़ा एक्टर हूँ.''
''हा हा हा.मैं भी तो एक्टिंग ही कर रहा था.लेकिन आपकी बात में दम तो है.सबकी 'घर वापसी' कराकर संघ में शामिल कर लेते हैं.भागवतजी से बात करते हैं.''
''आपको लगता है वो मानेंगे?''
''मनाने की भूमिका तैयार करनी पड़ती है.कुछ करना पड़ेगा.''
''क्या?''
''अपने प्रचार-माध्यम को सक्रिय करना होगा.यह बताना पड़ेगा कि रोहिंग्या गैर नहीं हैं.वे सनातन हिन्दू हैं और उनका सम्बन्ध द्वारकाधीश के खानदान से है.''
''क्या?''
''बताना पड़ेगा कि वे माता रोहिणी के वंशज हैं.कृष्ण से झगड़ा करके ब्रह्मदेश चले गए थे.और वहाँ गोमांस वगैरह का सेवन करके विधर्मी हो गए.''
''या सत्यवादी हरिश्चंद्र के पुत्र रोहिताश्व से उनका नाता है.''
''ठीक कह रहे हैं.चलो बात करते हैं.''
''ठीक है.''
''गुरूजी हमारी 'इतिहास संकलन समिति' ने एक महत्वपूर्ण खोज की है.''
''क्या?''
''ये रोहिंग्याजी लोग हिन्दू हैं.इनका रिश्ता माता रोहिणी से है.''
''और भगवान् रोहिताश्व से भी.''
''अच्छा ! तब तो वे आतंकी नहीं हैं.हमने गलती कर दी.हमने कई बार उनको आतंकी कहा.ऐसा करिए प्रधानमंत्रीजी आप एक प्रेस कांफ्रेंस कर लीजिये.''
''गुरूजी उसमें पत्रकार सवाल पूछेंगे न?मैं भाषण में ही कम्फर्ट फील करता हूँ.''
''ठीक है, प्रेस कांफ्रेंस अमितजी कर लेंगे.अच्छा अच्छा वह रिपोर्ट कहाँ है?''
''गुरूजी आपको रिपोर्ट शीघ्र ही उपलब्ध करा दी जायेगी.''
''बेवकूफ समझ रहे तुम लोग मुझे?मैं तुम दोनों को खूब समझता हूँ.दाई से पेट छुपाते हो?चुनाव में जाओगे तो क्या कहोगे?सबको भक्त समझ के रखा है?जो भक्त नहीं हैं, वे महंगाई, बेरोजगारी, अच्छे दिन, पंद्रह लाख पर सवाल करेंगे, तो क्या कहोगे तुम लोग?''
'जी.''
''रोहिंग्या को नहीं आने दोगे तो तुम छप्पन इंच का सीना ठोक कर कह तो सकते हो ना कि हमने आतंकियों को भारत में घुसने नहीं दिया.''
''जी.''
''तुम लोग टेक्नीक समझो.और इसके बाद फिर सनातन धर्म, वन्देमातरम, भारत माता का जयघोष होगा और हिन्दू जनता सारे सवाल भूल जायेगी.''
''मगर मेरे मन में करुणा का भाव.''
''ये करुणा का भाव गोमाता के लिए बचाकर रक्खो.2002 में करुणा का भाव नहीं आया था?''
''जी गलती हो गयी.''
''भक्त भी अगर धारा 370, समान नागरिक संहिता, कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास और राम मंदिर के बारे में पूछें तो.''
''जी गलती हो गयी.''
''भगवान् राम तिरपाल में रहें और साहब चले हैं, मुसलमानों को शरण देने.इधर शिंजो आबे के साथ मस्जिद-मस्जिद, बहादुर शाह और गांधी के मकबरे-मकबरे भटकने से बहकी-बहकी बातें कर रहे हैं.अपना आदर्श भी भूल गए?''
''क्या?''
''गुरु गोलवलकर क्या बेवक़ूफ़ थे?उन्होंने बहुत सोच-समझकर कहा था कि अंग्रेज़ नहीं, मुसलमान और ईसाई हमारे शत्रु हैं.''
''मगर अंग्रेज़ भी तो ईसाई थे.''
''तुम सचमुच वैशाखनंदन हो.लोग गलत नहीं कह रहे हैं.''
''हाँ, मगर धोबी तो आप ही हैं न.''
''ना, मैं नहीं हूँ.मैं होता तो तुम ऐसा सोचते ही नहीं.''
''तो कौन है?''
''मुकेश अम्बानी है.''
''अरे वो तो हमलोग मज़ाक कर रहे थे गुरुजी.आप भी हमारे धोबी हैं.''
''मज़ाक देश से करो गुरूजी से नहीं.''
''दया, करुणा, ममता, समता, विश्व बंधुत्व, वसुधैव कुटुम्बकम हा हा हा.ये हमारी संघ की किताबों में नहीं है.हा हा हा क्या गुरूजी आपने हमपर संदेह किया, ये अच्छी बात नहीं.''
''नहीं, नहीं.मुझे पूरा विश्वास है अमितजी आप दोनों पर.मैं भी कहूं कि आपलोग ऐसा कैसे कह सकते हैं.देखा न वो बच्चा जो रोने का नाटक कर रहा था.''
''कौन?''
''अरे वही रोहिंग्या का बच्चा.जो मरियल सा था.वो भूखा नहीं था.वो देखने से ही चोर लग रहा था.मैं तो टी.वी. पर भी अपना पॉकेट बचा रहा था.कोई भरोसा नहीं इनका.बड़ा होकर पक्का आतंकी बनेगा.उसका बाप भी आतंकी था.आन सान सू की बता रही थी.और वो बूढ़ी महिला वो फिदायीन थी.हमले की फिराक में.''
''मोदीजी एक सर्जिकल स्ट्राइक बांग्लादेश पर भी कर दें क्या?''
''हाँ, अमितजी ये ठीक रहेगा.हमने म्यांमार को भी समर्थन का आश्वासन दिया है.''
''खैर छोडिये.और आगे की क्या तैयारी है?''
''बस कुछ ख़ास नहीं.दो अक्टूबर को धूमधाम से गांधी जयन्ती मनाएंगे.''
''मगर गांधी कुछ पूछेगा तो?''
''उसकी हिम्मत ही नहीं पड़ेगी.और हां, इस गांधी का कुछ करना पड़ेगा.''
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