ऑपरेशन थियेटर
''कैसे हो?''
''डॉक्टर साहब सर्दी है.''
''वकील साहब मैं समझ गया इसको सर्दी चलने में परेशानी की वज़ह से है.''
''अच्छा कब से ?''
''पिछले तीन साल से.''
''पहले ठीक था?''
''हाँ बीच में चार-पांच साल गड़बड़ था.''
''कब चार पांच साल?''
''यही 2004 के पहले.''
''अच्छा आई टेस्ट करना होगा.''
''क्यूं साहब ?''
''सब बताएँगे.''
''मुझे लगता है वकील साहब इसका अन्न दूषित है.बदलना पड़ेगा.''
''अब तुम पहले का अन्न नहीं खाओगे.''
''सर नये में क्या खाऊँ?''
''बता दिया जाएगा.''
''और लोग भी इसके शिकार हो जायेंगे.यह देश हित का मामला है.यह दूषित अन्न पूरे देश की सेहत के लिए खतरनाक है.पहले का अन्न आज रात बारह बजे से खाने लायक नहीं है.उसमें पड़ोसी देश ने ज़हर मिला दिया है.पूरा अन्न मिलावटी हो गया है.इससे स्वास्थ्य खराब होगा.''
(चाय ब्रेक)
पायलट ने जनहित में मेडिकल बुलेटिन जारी किया और फिर ऑपरेशन थियेटर में चले गए.इधर नवान्न के लिए लगी लम्बी-लम्बी लाइनों में लोग देश के काम आते रहे.
(ऑपरेशन फिर शुरू)
''तो वकील साहब क्या ख्याल है?''
''मामला बड़ा इंटरेस्टिंग है.''
''रोज कितना चलते हो?''
''एक किलोमीटर.''
''एक किलोमीटर कि ज्यादा?''
''कभी-कभी ज्यादा?''
''ओह यह आंकड़े भी सही नहीं बता रहा.घालमेल कर रहा है.इसकी चाल और समय में गुणा कर दूरी निकालनी पड़ेगी.''
''मुझे इसका कारण नैतिक लगता है.सड़क पर चलने का टैक्स देते हो?''
''नहीं.पैदल का टैक्स तो सरकार नहीं लेती.''
''यही तो दिक्कत है.फिर देश की तरक्की में तुम्हारा योगदान क्या है?''
''हॉस्पिटल में कैसे आये?''
''चलकर.''
''स्ट्रेचर यूज करना था.''
''इस पर स्ट्रेचर का चार्ज लगाओ.''
''जब तुम यहाँ भी पैदल आओगे तो हम कैसे मानें कि तुम्हें लकवा था.''
''डॉक्टर साहब मुझे लकवा नहीं था.''
''मगर स्ट्रेचर पर लेटे हुए मरीज़ को देखकर हममें आत्मविश्वास पैदा होता है, क्यों वकील साहब?पहले हम मरीज़ को स्ट्रेचर पर लेटने लायक बनाते हैं.कम्पाउण्डर इसके घुटनों पर प्रहार करो.''
''बिलकुल, केस क्रिटिकल न हो तो मज़ा नहीं आता.''
''मुझे लगता है इसकी नींद को ठीक से समझने की जरूरत है.''
''कितनी देर सोते हो?नींद आती है?''
''हाँ, इधर दो तीन साल से अनिद्रा की शिकायत है.''
''तब भी कितने घंटे?''
''पता नहीं.ध्यान नहीं दिया.''
''वकील साहब इसका रिकॉर्ड ही मेंटेन नहीं है.''
''हूँ, जिस आदमी को अपनी नींद तक की जानकारी नहीं है.वह केस को ठीक से समझने में कैसे सहायक होगा.''
''यहीं तो दिक्कत है.''
''ज्यादा देर सोने से ब्लड सर्कुलेशन गड़बड़ हो जाता है.और उससे सुनने की शक्ति प्रभावित होती है.''
''वकील साहब इसके कान का ऑपरेशन करना ठीक रहेगा.''
''पायलट सर इसमें हार्वर्ड के डॉक्टरों से सलाह ले लें.''
''न न न ऑपरेशन हार्ड वर्क से होता है न कि हार्वर्ड से.खुद से सीखो.ऑपरेशन करते-करते ही आदमी डॉक्टर बनता है.माँ के पेट से ही कोई डॉक्टर बन कर थोड़े ही आता है?''
''क्या काम करते हो?''
''डॉक्टर साहब छोटा-मोटा धंधा करता हूँ.''
''मतलब बिजनेसमैन हो?बिजनेस मैन हो और हम न जानें?ऐसा कैसे हो सकता है?''
''इसकी कोई भी डिटेल विश्वसनीय नहीं.''
''साहब गरीब आदमी हूँ.''
''यही सोच घातक है.पहले सोच बदलनी होगी.''
''मजदूरी कैसे मिलती है?''
''सर पहले नकद मिल जाती थी, अब कार्ड से मिलेगी शायद.''
''हाँ, डिजिटल बनो.''
''मन में कैसे-कैसे ख्याल आते हैं.''
''सर सोचता हूँ कि सभी हिन्दू-मुस्लिम मिलजुल कर रहें.''
''ओ हो ख्याल का सीधा कनेक्शन दिमाग से है.''
''इसके दिमाग का सी.टी.स्कैन करना होगा.''
''इसकी सोच को हमारे डाटा सिस्टम से लिंक करना होगा.मामला बहुत क्रिटिकल है.पल-पल पर कड़ी नजर रखनी होगी.ऐसी सोच इसके लिए ही नहीं, समूची वसुधा के लिए घातक है.''
''इलेक्ट्रिक शॉक थेरेपी ठीक रहेगा.''
''अरे ये क्या हो गया ! मरीज तो सुन्न हो गया.ये तो उठ ही नहीं रहा.लगता है कोमा में चला गया.''
''रिसेप्शनिस्ट इस मरीज़ का क्या नाम था?''
''सर अर्थव्यवस्था.''
''पिता का नाम?''
''विकास.''
''वकील साहब इसके घर वाले पूछ रहे हैं.वह जो आदमी मिलने आया था, कहाँ है?''
''एयर होस्टेस से कह दो बाहर जाकर कह दे मरीज़ को एडमिट कर लिया है.बहुत क्रिटिकल केस है.''
''वकील साहब मैंने कह दिया. इसका बाप तो पागल हो गया.''
''उससे कहो कि हमें थोड़ा वक्त दें.लम्बी बीमारी है.लकवे की शिकायत है.मरीज़ खतरे से बाहर है, वे घर जाएँ.हनीप्रीत शायद पाकिस्तान में देखी गयी है.जी न्यूज़ पर एक्सक्लूसिव खबर आ रही है.''
''पर साहब वह तो ठीक था.उसे तो सर्दी की शिकायत थी.''
''भाग जाओ झूठो.इतना क्रिटिकल केस था.''
''वकील साहब आपने अच्छा ऑपरेशन किया आपको मेडिकल एसोसिएशन का अध्यक्ष बनाया जा रहा है.हम आपके बहुमूल्य विचारों की सराहना करते हैं.''
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