Friday, 6 October 2017

परीक्षा की घड़ी - शशि कुमार सिंह

#परीक्षा_की_घड़ी
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● ''विपक्षी तो ऐसे शोर मचा रहे हैं जैसे सपा, बसपा और कांग्रेस के जमाने में बच्चे मरते ही न थे.''

◆ ''और क्या?''

● ''ऐसे कठिन समय में हमें दृढ़ता के साथ आदरणीय योगीजी और परम आदरणीय मोदीजी के साथ खड़े रहना चाहिए.
जिन्दगी लेने वाला अगर भगवान् है तो देने वाला भी तो वही है.''
''यह हम देशभक्तों के लिए परीक्षा की घड़ी है. मैंने खुद देखा है अपनी आँखों से, वहाँ सिलिंडर की कोई कमी नहीं.''

(अंदर से पत्नी की आवाज़)
■ ''सुनते हैं जी!
देखिये बच्चे को क्या हो गया.
मेरा लाल आँखें ही नहीं खोल रहा है.
हे भगवान् ये क्या हो गया मेरे बच्चे को. जल्दी हॉस्पिटल चलिए.''

● ''ठीक है. जल्दी करो.
हे भगवान् मेरे बच्चे की बचा लीजिये.''

■ ''अरे उधर कहाँ जा रहे हैं?
महंत जी का अस्पताल तो उधर नहीं पड़ता है न.''

● ''अरे पागल औरत. बच्चे के जीवन का सवाल है. उधर तो कई दिनों से देख रही हो न, सरकार ऑक्सीजन सिलिंडर तक का इंतज़ाम नहीं कर पा रही है. नालायक, नक्कारी सरकार. इस योगी को तो नरक में भी जगह नहीं मिलेगी. और मोदी एक नंबर का धूर्त. लोग गलत थोड़ी शोर मचा रहे हैं.''

   Shashi Kumar Singh

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