राष्ट्र ऋषि
''प्रधान मंत्री जी बधाई हो.आप तो राष्ट्र ऋषि हो गए.''
.''हाँ मगर ये बात कोई ऋषि ही समझ सकता है.राष्ट्र को रामदेवजी का कृतज्ञ होना चाहिए ''
''इसलिए कि उन्होंने एक राज्य ऋषि को राष्ट्र ऋषि बना दिया?''
''नहीं यह तो तुम राष्ट्र का अपमान कर रहे हो.मैं कभी भी राज्य ऋषि नहीं रहा. मैं तो सदैव से अन्तराष्ट्रीय स्तर और चिन्तन का महापुरुष हूँ.वसुधैव कुटुम्बकम हमारी परंपरा रही है.''
''सर यह सम्मान तो भारत रत्न और नोबेल से भी बड़ा है.''
''देखो भारत रत्न तो पक्का है.आज नहीं तो कल.रही बात नोबेल की तो नोबेल की बात ही कुछ और है.चक्कर में हूँ कि मिल जाए.''
''सर कश्मीर में जवानों के सर काट लिए गए.''
''अब तुम्ही बताओ.मनमोहन के समय सिर्फ एक सर कटा था.हमने कहा मेहमान के दोनों हाथ भरे होने चाहिए.इसलिए दो सर काटकर दे दिए.''
''सर इस पर भारत सरकार कोई एक्शन?''
''देखो पहले तो हमारी सरकार इस घटना की घोर निंदा करती है.पहले भी कर चुकी है.हमारे सुयोग्य मंत्री भी हिन्दी और अंग्रेजी में कई बार भिन्न प्रकार से निंदा कर चुके हैं.एक बार पुनः हमारी सरकार निंदा करती है.ये शहीद देश के काम आये हैं.इनकी शहादत बेकार नहीं जायेगी.''
''मतलब सर पाकिस्तान पर हमला?''
''देखो भारत हमेशा से एक शांति प्रिय और अहिंसक देश रहा है और मेरा कभी भी हिंसा में विश्वास नहीं रहा है.''
''सर २००२ में भी नहीं.''
''पहले थोडा बहुत था मगर अब नहीं अब तो मेरा ऋषित्व जग गया है.ह्रदय परिवर्तन तो कभी भी हो सकता है न?सम्राट अशोक का नहीं हुआ?''
''मगर सर.''
''क्या मगर सर.मगर सर.इस समय मगर पर नहीं गाय पर बात करनी हो तो करो.तीन तलाक पर कुछ पूछना हो तो पूछ सकते हो.''
''सर हमला कब तक?''
''अरे कुछ २०१९ के लिए भी छोड़ दो.''
''सर तब भी कुछ योग?''
''इस समय सिर्फ राजयोग.''
''मगर सर.''
''फिर वही मगर सर मगर सर कर रहे हो.मैं ऋषि हूँ.कोई सर नहीं.अभी प्रकृति का आनंद लेने दो.रामदेव जी इस पत्रकार को पवित्र गोमूत्र की प्रयोगशाला की ओर विचरण कराइए.यह हमें हिंसक बनाना चाहता है.जय केदारनाथ जी.इस समय देशवासियों को सद्बुद्धि और धैर्य प्रदान करें और हमारे भक्तों को इनका सामना करने की शक्ति.''
''एक बार सब बोलो राष्ट्र ऋषि जी की जय.केदारनाथ जी की जय.बद्रीनाथ जी की जय.''
''रामदेवजी एक बात कहनी है.''
''आदेश करिए राष्ट्र ऋषि ''
''हमारे अध्यक्ष जी को भी कोई उपाधि''
''ठीक है हो जायेगा ये कौन सी बड़ी बात है.हो जाएगा.मगर अध्यक्षजी इस समय कर क्या रहे हैं.''
''कुछ नहीं इस समय दोनों खाली थे.इसी समय तो थोडा खाली समय मिला है नहीं तो सदैव चुनावों में व्यस्तता.थोड़ी फुर्सत मिली तो मैं इधर प्रकृति का आनंद लेने आया और वो एम्.सी.डी.चुनावों में जीत का जश्न.''
''एक बार फिर बोलो राष्ट्र ऋषि की जय.केदारनाथजी की जय.बद्रीनाथजी की जय.''
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