उपहार
''स्मृतिजी आपने २०१३ में तत्कालीन प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को चूड़ियाँ भेजने के लिए कहा था.याद है न.''
''हाँ हाँ याद है.कैसे भूल सकती हूँ. मैं सच्ची भारतीय हूँ.कितना बड़ा नक्सली हमला हुआ था आपको याद है न..हमारे कितने जवान शहीद हुए थे.ये कोई कैसे भूल सकता है.''
''मैडम इतिहास अपने को दुहरा रहा है....आज के प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को आप क्या भेजना चाहेंगी?''
''देखिये आपने तो मुझे धर्म संकट में डाल दिया.खैर मैं सच्ची भारतीय हूँ.भले ही मेरा सरनेम ईरानी हो.देश का सवाल है, मैं पार्टी लाइन से ऊपर उठकर बात करूंगी.कोई उपहार अपनी हैसियत के हिसाब से ही दिया जाता है.उस समय मैं किसी पोस्ट पर नहीं थी.इसलिए सिर्फ चूड़ियाँ भेज पाई.आज तो मैं कपड़ा मंत्री हूँ.इसलिए पूरा साड़ी, साया, ब्लाउज, मेकअप का सामान और चूंकि मेरा सम्बन्ध फिल्म और कला जगत से है इसलिए एक ढोलक भी भेजूंगी.''
''अरे वाह मैडम आप तो वाकई देशभक्त हैं.''
''और नहीं तो क्या मुझे शिक्षा मंत्री बनाकर हटा दिया.क्या मैं गलत चला रही थी.''
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