Friday, 6 October 2017

चरखाधारी मोहन का पत्र आदरणीय प्रधानमंत्रीजी के नाम.- शशि कुमार सिंह

चरखाधारी मोहन का पत्र आदरणीय प्रधानमंत्रीजी के नाम.

प्रधानमंत्री ,भारत गणराज्य,
7लोक कल्याण मार्ग,दिल्ली

प्रिय नरेंद्र
सदा प्रसन्न रहो

सर्वप्रथम तो मैं आपसे क्षमा चाहता हूँ कि मैंने आपको नाम से संबोधित किया. मैं भूल गया था कि आप भारत के प्रचंड बहुमत से चुने प्रधानमंत्री हैं. जब आपके संगठन के ह्रदय सम्राट ने गोलियों से मेरी आत्मा को स्वर्ग पठाया तब आप प्रधानमंत्री नहीं थे. कौन था यह बताकर आपका मूड खराब करने का साहस मुझमे नहीं है. बस कुछ सवाल हैं. आपने कल लाल किले की प्राचीर से भाषण देते हुए कहा कि चक्रधारी मोहन से चरखाधारी मोहन तक हमारी विरासत है, तो मुझे कुछ जिज्ञासा हुई. क्या जिस मोहन की चर्चा आप कर रहे थे, वह मैं ही हूँ? या मैं गलतफहमी में हूँ ?और वे संघ प्रमुख भगवा एवं कटारधारी मोहन जी हैं. चलो थोड़ी देर के लिए मैं मान लेता हूँ कि मैं ही वह मोहन हूँ, क्योंकि चरखा तो मैं ही चलाता था. मगर याद आया खादी ग्रामोद्योग के कैलेन्डर से आपने इस चरखाधारी मोहन की तस्वीर हटाकर अपनी लगा ली थी? मुझे बहुत अच्छा लगा. पहले कैलेन्डर में बहुत खाली जगह थी. अब भरा-भरा लगता है. आपके हरियाणा के एक मंत्री ने मुझे अपशब्द कहे थे, आपने क्या उसे कुछ कहा?थोड़ी सी प्यार की झिडकी भी? नहीं,आपको मेरी शपथ उन्हें कुछ कहियेगा मत. मैंने सुना कि मेरी आत्मा के हिन्दुस्तान छोड़ने के बाद आपके संगठन ने मिठाइयां बांटी थी? खैर मैं तो खुश ही हुआ बच्चों को मिठाइयां खाते देखकर. मिठाई से याद आया, क्या गोरखपुर के सभी बच्चों ने कल मिठाइयां खाईं?

प्रधानमंत्रीजी अब तक के सबसे संक्षिप्त संबोधन के लिए आप मेरी बधाई स्वीकारें. उस संबोधन का क्या आपके सीने की माप से कोई सम्बन्ध था?नहीं मैं ऐसे ही पूछ रहा हूँ क्योंकि ५६ मिनट का था न ! प्रधानमंत्रीजी कल आपने जो ध्वज फहराया वह तिरंगा था या कोई दूसरा? अब ठीक से दिखाई नहीं पड़ता है. मेरी आत्मा के प्रयाण तक तो आपका संगठन तिरंगे को राष्ट्रध्वज नहीं मानता था. वर्तमान स्थिति से मुझे अवश्य अवगत कराइयेगा. क्या अब आप लोग राष्ट्र ध्वज फहराते हैं? सुना इस बार मदरसों की वीडियोग्राफी हुई. बहुत अच्छा किया. शायद इससे मुझ जैसे चरखाधारी की विरासत और समृद्ध हो. मेरी मृत्यु तक देश का संविधान नहीं बना था. बाद में संविधान बना या 'मनुस्मृति' से ही राष्ट्र निर्माण चल रहा है? हरिजनों के बारे में बाबा साहेब बहुत चिंतित थे. उम्मीद है हरिजन, आप लोग तो दलित कहते हैं न कि अभी भी शूद्र संज्ञा का ही प्रयोग करते हैं, राजी खुशी होंगे? यहाँ अफवाह थी कि किसी ने हैदराबाद के निजाम के राज्य में आत्महत्या कर ली? गुजरात में भी कुछ अत्याचार हुए? मैं इन बातों को नहीं मानता. गुजरात, हरियाणा अब अलग प्रांत हैं क्या?अयोध्या प्रान्त, काशी प्रान्त की तर्ज पर या कोई दूसरा आधार था?

प्रधानमंत्रीजी बात विरासत की करनी थी मगर मैं कहाँ बहक गया. बूढा हो गया हूँ न. तो मेरी विरासत का मतलब आप भली-भांति जानते होंगे. आप तो जानते ही होंगे कि जब देश आज़ादी का जश्न मना रहा था तब मैं बंगाल में सांप्रदायिक सौहार्द स्थापित करने की कोशिश कर रहा था. अख़लाक़ और पहलू का नाम लेकर लोग यहाँ अफवाह फैलाते हैं पर मैं जानता हूँ, ये सब फिरंगियों की साजिश है.

प्रधानमंत्रीजी देश के मंदिरों के हाल -चाल तो ठीक ही होंगे? मैंने सुना अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए बाबरी मस्जिद गिरा दी? खैर मैं कोई शिकायत नहीं करूंगा. सुना है गोडसे का भी मंदिर बन रहा है? आप अशोक सिंघल को श्रद्धांजलि भी देने गए थे? आदरणीय प्रधानमंत्रीजी मैंने यह भी सुना कि संयुक्त प्रान्त आपने एक उत्पाती बालक के हवाले कर दिया? क्या वह बालक सभी को साथ लेकर चलेगा? क्या वह संयुक्त प्रांत की समृद्ध विरासत को सहेज पाने की योग्यता रखता है? उसके स्वभाव के बारे में थोड़ी उत्सुकता होती है. यहाँ उड़ती हुई खबर आई कि उस बालक क्षमा करिएगा महायोगी ने धूमधाम से त्यौहार मनाने का आदेश दिया?प्रधानमंत्रीजी आपको उन मासूम बच्चों की लाशें याद नहीं आईं? वे यशोदायें याद नहीं आयीं, जिनके लालों को आपकी सरकारी पूतना ने असमय ही जहरीला दूध पिला दिया? आप कुछ भी करने के लिए स्वतंत्र हैं. बात विरासत की है तो पूछ लेता हूँ कि आपने चुनावों में कितने अल्पसंख्यकों को टिकट दिया? क्या अब शहरों, रेलवे स्टेशनों और इमारतों के नाम-परिवर्तन की ओर भी आप प्रयत्नशील हैं? और हाँ, ये दीनदयाल, मुखर्जी वगैरह कौन है? विस्तार से लिख भेजना. प्रधानमंत्रीजी आपने मेरे जन्मदिवस पर भारत की स्वच्छता का अभियान शुरू किया था. मैं इसका स्वागत करता हूँ, मगर साथ ही यह निवेदन भी करता हूँ कि आप अपनी विचारधारा के लोगों के मन को भी स्वच्छ बनाएं. वहाँ नफरत के कूड़े का अम्बार लगा है.

प्रधानमंत्रीजी कम लिखा है ज्यादा समझना. मेरी प्रार्थना का समय हो रहा है. पर अब मुझे यह डर नहीं लगता कि गोडसे मेरी ह्त्या कर देगा. पता नहीं मुझे यह कैसा शाप मिला है कि आपके देश में रोज़ मेरी ह्त्या होती है. खैर आप चिंतित न हों. देश की पीड़ा से अगर चित्त व्यथित हो तो कुछ दिनों के लिए विदेश यात्रा ठीक रहेगी. अगर मेरी किसी बात से आपकी भावनाएं आहत हुई हों तो मुझे क्षमा कर दीजिएगा. आप तो दरियादिल हैं. पुनश्च-चक्रधारी मोहन के फेर में धनुषधारी राम को मत भूलना. जसोदा मैया को भी याद रखना और हाँ जितनी जल्दी हो सके मेरा 'डेथ सर्टिफिकेट' जरूर भेज दीजियेगा.
                                                                            प्रेषक
         आपके देश का पूर्व नागरिक
     चरखाधारी मोहनदास वल्द करमचंद गांधी
                आधार संख्या- 2101 8693 0148.

Shashi Kumar Singh की पोस्ट

No comments:

Post a Comment

Featured post

व्याकरण कविता अरमान आंनद

व्याकरण भाषा का हो या समाज का  व्याकरण सिर्फ हिंसा सिखाता है व्याकरण पर चलने वाले लोग सैनिक का दिमाग रखते हैं प्रश्न करना  जिनके अधिकार क्षे...