Thursday 12 April 2018

आर्य भारत की तीन भोजपुरी कविताएँ

भोजपुरी कविता के व्यापक फ़लक और उसकी आधुनिक चेतना-संवेदना से रु-ब-रु कराती आर्य भारत की ये तीन
आर्य भारत
भोजपुरी कविता पढ़कर यकीनन भोजपुरी कविताओ के विषय में बनी आपकी पुरानी धारणा पहले की तरह नहीं रह सकेगी।ऐसी कविताओं के माध्यम से कवि एक नई उम्मीद की तरह हमारे सामने आते हैं और हमारे भीतर कविता के प्रति बनी हुई  निष्ठा को और अधिक मजबूत करते हैं। अग्रज और युवा कवि अरमान आनन्द भैया के मार्फत इन तीन कविताओं को पढ़कर मुझे ऐसा लगता है। आप भी इन तीनों कविताओं को जरुर पढ़िये ! - मोहन कुमार झा


1.  सीरिया

खून से सनाइल अंचरा कब ले धोआई
देखे परदेश सजनी सीरिया चलल जाई...
भूखे बिलबिलात हामार चुनमुन लेखा भाई
रोअत बाड़ी बाबूजी के धरीके जैसे माई
अबकी जनाजा में बा बचवा चुपाइल
कतना बा भारी देखे सीरिया चलल जाइ
एक ही विधाता बइठल बाड़े आसमान में
काहें के गिरावत हौवे बमवा परान में
कोख में करेजा के कपार पर छपाइल
खून के कढ़ाई देखे सीरिया चलल जाइ......
लौकत बा हमरा के रूस अमरीका
लेनिन-लिंकन के मूंह पे करीखा
सामाजवादी लोगन के सब कमाइल
बड़की-बड़की बात देखे सीरिया चलल जाइ....
2
आसमान के बिगुल सुनावा
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बहुत हो गइल बरखा-पानी दुनिया मे भगवान के
आसमान के बिगुल सुनावा अब टुटही मचान के
लाख किताबें बाचल गइल
लाख भईल बरजोरी
दुनिया के बोले ना आइल
समाजवाद के बोली
बहुत चलल चरखा-तकली में धागा ई बबुआन के
त चलू संघतिया भूंजल जाव अब मूजी पर शैतान के
धरती के छाती पर चीरा
मारत रहल मजूरा
फूल फुलाइल छेमी आइल
लगल पेट मे छूरा
फँसरी पर लटकत बा कीमत डेढ़ गो बोरी धान के
धूम मचल बा सगरो दुनिया में आपन बबुआन के
तनिक जोर से बोल रे साथी
बहुत पास बा माइक
बिना गिने फेसबुकिया बिलरन
के कमेंट पर लाइक
कान के पर्दा ना फाटल त कालीन फाटी लान के
तानाशाही शोभा होइहे राख बन शमसान के.....
3
हँसेलू त लागेला मजूरा मन के आसा
मत सेइहा बबुनी तू कबहूँ निरासा
एक भिनसहरे से खून में पसीना
फेंटी-फेंटी जंगरा में गोती दिहनि सीना
सोगहक देहियाँ भईल हाड़मासा....
मत सेइहा बबुनी तू कबहूँ निरासा.....
मन के सिवाने तोहार अलता छपाइल
अंखियन के ताल तोहार याद से सनाइल
देहियाँ त बांगर बनी गावे आपन दासा
मत सेइहा बबुनी तू मन मे निरासा
हमनी के दुनिया में कतना बा आपन
होत अनगुते बान्हि लेब लेवा-राशन
बिरहा के रही जाइ जुग-जुग तमाशा....
मत सेइहा बबुनी तू कबहूँ निरासा....
हँसेलू त लागेला मजूरा मन के आसा....

युवा कवि आर्य भारत बलिया उत्तर प्रदेश से आते हैं। हिन्दी और भोजपुरी में रचनाएं करते हैं । कवि और कहानीकार हैं। नाट्यकर्मी हैं। फ्रीलांसिंग करते हैं। इनकी शिक्षा दीक्षा बीएचयी और आई आई एम सी दिल्ली से हुई है। 

1 comment:

  1. आर्य की कविताएं एकदम ख़ालिस हैं वो जो लिखते हैं वो जीते हैं और जो जीते हैं वही लिखते हैं। आर्य के निजी जीवन के तेवर ही उनकी कविताओं का तेवर है...... जिंदाबाद भाई

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