रक्तपात
कदली के कुञ्ज में, कोने में जहाँ दीपक की आड़ जैसी अंध-ज्योत थी
वहीँ कौमार्य नष्ट किया उसका
किसे समाचार होता
यदि कौओं का झुण्ड 'षडज षडज'
करता नहीं ऊपर; देखकर उसका
शुद्ध, गाढ़ा रक्त
उसी की कोपवती आँखों के रंगवाला
व्याकरण भाषा का हो या समाज का व्याकरण सिर्फ हिंसा सिखाता है व्याकरण पर चलने वाले लोग सैनिक का दिमाग रखते हैं प्रश्न करना जिनके अधिकार क्षे...
No comments:
Post a Comment