Saturday, 14 April 2018

बलात्कार के विरुद्ध रूबी अरुण की कविता

चलो कुछ और झूठ बोलो
ठहाके लगाओ
जश्न मनाओ ,अपनी पीठ थपथपाओ
तालियां बजाओ , दूसरों पर इल्ज़ाम लगाओ
माँ भारती और तिरंगे का हवाला दो
कि

हमारी एक और बेटी की अस्मत
तार-तार कर दी गई है
उसके स्त्रीत्व के चिथड़े
उड़ा दिये गये हैं ....
और उसे मारकर ,कुत्ते बिल्लियों की तरह
कूड़े के ढेर पर फेंक दिया गया है....

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