Saturday, 14 April 2018

युवा कवि जगदीश सौरभ की कविता - राम राज है

रामराज है

कुछ मत बोलो रामराज है
मुँह मत खोलो रामराज है
आरएसएस की समरसता में
ज़हर न घोलो रामराज है

रेप हुआ है हो जाने दो
पुलिस प्रसाशन सो जाने दो
सत्तर साल से सहते आये
ये भी सह लो रामराज है

बोलोगे मारे जाओगे
पाकिस्तां सारे जाओगे
रामलला का रथ निकला है
साइड हो लो रामराज है

भ्रष्टाचार किया तो क्या है
दंगा-मार किया तो क्या है
बीजेपी में शामिल होकर
सबकुछ धो लो रामराज है

सारा मुल्क अजायबघर है
दिल सूखा आंखें बंजर हैं
नफरत की खेती उर्वर है
काट लो, बो लो रामराज है

शिक्षा बेचो नोकरी बेचो
रेल बेच दो पटरी बेचो
तोल के बेचो या फिर चाहे
बेच के तोलो रामराज है

पीएम जी का ट्वीट हो गया
मित्रों ! सबकुछ ठीक हो गया
तबतक पर्चा लीक हो गया
चैन से सो लो रामराज है

मोदी जी जब पीछे पड़ गए
माल्या नीरव जेल में सड़ गए
काला धन खाते में आ गया
तुम भी ले लो रामराज है.

©जगदीश

No comments:

Post a Comment

Featured post

व्याकरण कविता अरमान आंनद

व्याकरण भाषा का हो या समाज का  व्याकरण सिर्फ हिंसा सिखाता है व्याकरण पर चलने वाले लोग सैनिक का दिमाग रखते हैं प्रश्न करना  जिनके अधिकार क्षे...