Friday, 13 April 2018

बलात्कार के विरोध में विवेक कुमार सिंह की कविता

एक आदमी
बलात्कार करता है
एक आदमी बलात्कार करवाता है
एक तीसरा आदमी भी है
जो न बलात्कार करता है, न बलात्कार करवाता है
वह सिर्फ़ बलात्कारियों को बचाता है
मैं पूछता हूँ--
'यह तीसरा आदमी कौन है ?'
मेरे देश की संसद मौन है।

धूमिल अगर आज होते तो शायद यही लिखते।।

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