Tuesday 17 April 2018

युवा कवि सिद्धार्थ की कविता -कहानी फिलोमेला की

नन्ही अनामिका 
अगर तुम होती
तो मैं सुनाती , तुमको एक कहानी

कहानी फिलोमेला की

[फिलोमेला इक नन्ही राजकुमारी थी
ग्रीस का राजा पांडियन उसका पिता
प्राकनी उसकी बहन

दोनों बहनें बैखौफ तितलियों  सी
दिन भर भटकती
खुशबूदार बागीचे में
पेड़ो की झुरमुट में
लुका-छिपी खेलती
उनका पिता अक्सर
अपनी इठलाती लाड़लियों को देख
फूला न समाता

पर समय बीतते देर कहा लगती है
प्राकनी अब बड़ी हो गयी थी
और पिता परेशान सा होने को था ही
कि थ्रेस  के राजकुमार टेरेस  में दिखा 
उसे प्राकनी का पति

विवाह हुआ, बेटी विदा हुयी
और देखते ही देखते  पांच साल बीत गये

अचानक एक दिन प्राकनी के मन में आयी
अपनी गुड़िया फिलोमेला से मिलने की एक ईच्छा 
पति से कहा
और वो झट लिवा  लाया नवयौवना फिलोमेला को अपने साथ थ्रेस

पर टेरेस मुस्कुराता शैतान था
उसने  रेप किया फिलोमेला का
कई बार, बार बार
(वह चीखी थी
जैसे हर लड़की चीखती होंगी
अपनी देह को बिना सहमति छुए जाने पर )
पर टेरेस क्रूर था
विरोध करने पर किले में कैद हो गयी 
कटार से क़तर दी गयी उसकी जीभ

वह  दिन-रात रोती अपनी पीड़ा
चाहती पहुँचाना अपना सन्देश अपनी बहन तक
पर जब कोई रास्ता न सूझा
तो उसने बुनी अपनी दुःखद कहानी
अपनी साड़ी के पल्लो पर
और भेज दिया अपनी बहन के पास
(तब से मैं कहानियाँ ढूँढती हूँ
हर आँचल में
मैं खोजती हूँ
किसी बहन के आँसू )

प्राकनी का क्रोध असीमित था
उसने योजना बनाई
अपने शक्तिशाली पति से बदला लेने की
काट डाला अपने बेटे ईटीस  का सिर
उबाला और भेज दिया लंच में
अपने पति के पास

ऐसा भीषड़ बदला
ऐसा प्रचण्ड बहनापा
पहले किसी ने देखा था
पर टेरेस अब भी नही शरमाया
उसने आदेश दिया
"सैनिको, हत्या कर दो दोनों बहनो की "

बहने किले की दीवार से कूदती है
और भागती है जंगलो के बीच
(पर अब वह तितलियाँ नहीं रही
दरिंदे शेर की आहट से डर कर
भागती हिरणिया बन चुकी है वे )

उन्होंने प्रार्थना की देवताओ से
कहा इतनी अमानवता  बरदाश्त करना उनका नपुंसक होना था

देवताओ ने दंड दिया और बदल डाला
टेरेस को एक चोचीले हत्यारे पक्षी में
प्राकनी खूबसूरत अबाबील बन गयी
और फिलोमेला सुरीली कोयल
जिसकी मिठास में घुला है
उसका क्रोध, उसकी पीड़ा
जो अब भी गाती है
उस रात का भयावह, राक्षसी रौद्र-गीत 
और बदला माँगती है  समय से
टेरेस के नारकीय अपराध का ]

पर नन्ही अनामिका 
तुम अब नहीं हो
पर मैं सोचती  हूँ तुम्हारी बहन क्या करेंगी 
तुम्हारे बदले के लिये
मैं सोचती हूँ
क्या तुमने गुहार नहीं लगायी थी देवताओं की
या कि वे सचमुच नपुंसक हो गये है
मैं सोचती हूँ
कि जाऊँ और खोज लाऊँ
तुम्हारे दुप्पट्टे का पल्लू
क्या पता कोई सबूत
जिरह के लिए छोड़ रखा हो तुमने ?

सिद्धार्थ

No comments:

Post a Comment

Featured post

कथाचोर का इकबालिया बयान: अखिलेश सिंह

कथाचोर का इकबालिया बयान _________ कहानियों की चोरी पकड़ी जाने पर लेखिका ने सार्वजनिक अपील की :  जब मैं कहानियां चुराती थी तो मैं अवसाद में थ...