बलात्कार के विरुद्ध - केशवेंद्र
मुझे शर्म है की मैं एक ऐसे समाज का हिस्सा हूँ
जिसमे कोई भी लड़की खुद को सुरक्षित नही महसूसती
घर के बाहर की बेशर्म दुनिया में ही नही
नैतिकता के पर्दों से ढके घर में भी.
न जाने कैसा कुंठित नैतिक समाज है हमारा
जिसमे साठ साला व्यक्ति की काम वासना भड़क उठती है
छः साल की अकेली लड़की को देखकर.
जिस समाज में हर मनुष्य भूखे भेडिये की तरह है
शिकार की तलाश में लार टपकाता.
इक ऐसा समाज जिसमे बस और ट्रेनों में
सफ़र करती औरतों ही नहीं बच्चियों तक को पता है
कि कितना जुगुप्षा जनक हो सकता है मानवीय स्पर्श
की कितनी भूखी और कामुक हो सकती है आँखें
कितनी अश्लील हो सकती है मुद्राएँ
कितने गलीज और घिनौनी हो सकती है भाषा.
इक ऐसे समाज का हिस्सा हूँ मैं
जिसमे हर मिनट खरीदी-बेची जा रही होती है
कोई मासूम बच्ची किसी भेडिये के हाथों,
एक ऐसा समाज जिसके चौराहों पर
रेड लाइट मिले या न मिले पर
पर जिसमें जरुर मिल जायेगा रेड लाइट एरिया.
ऐसा महान समाज है हमारा
जिसमे सेक्स एजुकेशन की बात सुन
सोयी नैतिकताओं के प्रेत जाग उठते है.
पर जिसके लोग अपने घरों में ब्लू फिल्मे देखने में
या सिनेमा हॉल के सुबह की शो की शोभा बढ़ाने में
या नेट पर सुखद पोर्न का आनंद लेने में नही हिचकते.
कहते है गर्व से की भाई खजुराहो हो या
काम सूत्र , सब तो हमारी सभ्यता की ही देन है.
वर्जनाओं, कुंठाओं की चारदीवारों से घिरे
मनोरोगियों से भरे इस समाज में
लड़की होकर पैदा होना गुनाह है शायद.
जिस्म को छेदती भूखी निगाहों के इस युग में
लड़की होने का मतलब हर पल घुट कर मरना है.
सोच सकते हो तो सोच कर देखो किसी
बलात्कार की मासूम शिकार की व्यथा
तन, मन और आत्मा अनजान हो उठते है एक-दूजे से
टुकड़े-टुकड़े हो जाता है अस्तित्व
अपने शरीर से, अपनी लाचारी से, अपने आप से
घिन आती है, बोझ हो उठता है जीना.
मरना आसान लगता है, मुश्किल लगता है जीना.
हर एक बलात्कार के बाद
विश्वास घटता जाता है ईश्वर से
इंसानियत से, इंसान की अच्छाई से,
लगता है की ऐसे इंसान से तो पशु भले
मन में बर्बरता जागने लगती है
पंजे कसमसाने लगते है गला घोंट डालने को
उन हैवानों का जो मानवता को कलंकित कर रहे हैं
अपने पाशविक कृत्यों से.
मुझे उस सुसमय का इंतजार है जब खबरे आयेंगी की
लड़की ने बलात्कार का प्रयास करने वाले की जान ली.
बलात्कारी को दी गयी सरे आम फांसी.
तबतक के लिए हमारा जेहाद जारी रहे-
बलात्कार के विरुद्ध.
केशवेंद्र केरल में आई ए एस हैं।
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