Thursday, 12 April 2018

आर्य भारत का एक गीत- इस जीवन में बस इतना ही नहीं हुआ

इस जीवन मे बस इतना ही नही हुआ 
कहीं तुम्हारा मन था मैंने कहीं  छुआ....
पांव तुम्हारे छूने को नजरें सोची
सांसो ने भांपा तन की तन्हाई को
कंठो ने सोचा तेरी हर बात कहे
मौन देखता रहा लबे रुसवाई को
आंखों से बस इतना ही ही नही हुआ
दर्पण पर उतरा कागज़ पर नही चुआ....
हाथों में अभिमान कुलाचे मारे थे
सीने पर सर रख सोई अनुभूति थी
नीली थी ग्रीवा पलको  के कोरों से 
देह हमारी इडा की स्तुति थी
इन सांसो से बस इतना ही नही हुआ
जहां लगाई आग छुपाया वहीं धुआं


No comments:

Post a Comment

Featured post

कविता वो खुश नहीं है - अरमान आनंद

वो खुश नहीं है ---------------------- उसने कहा है वो खुश नहीं है ब्याह के बाद प्रेमी से हुई पहली मुलाकात में उदास चेहरे के साथ मिली किसी बाज़...