Friday 13 April 2018

रोहित ठाकुर की बलात्कार के विरुद्ध कविता

जैसे साईकिल की उतर जाती है चेन
ठीक उसी तरह
धरती की चेन क्यों नहीं उतर जाती है
हर बलात्कार के बाद
सभी लड़कियाँ  लड़ रही हैं विश्वयुद्ध
अपने शरीर और आत्मा के बीच
किसी घुसपैठिया के खिलाफ़
हम सब से तुम कोई उम्मीद मत रखना
हम सब टेराकोटा की टूटी हुई मूर्तियाँ हैं   ।।

रोहित ठाकुर

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