जब मैं बुड्ढा हो जाऊँगा
तब मेरा बेटा मेरी गोद में बैठकर
मेरी जवानी के किस्से पूछेगा
मैं आंसू बहाते हुए
बस यही कह पाऊंगा
मेरे बच्चे
मेरी जवानी में कोई वीरांगना फूलन नहीं थी
इसलिए वो दरिंदे
किसी की भी गर्दन काटकर
रस्सी में बाँध
पेड़ से लटका देते
किसी जवान लड़की का
रेप कर उसे जिन्दा जला देते
या उसकी हत्या कर
उसे पेड़ से लटका देते
हम सब उस समय उस टँगी हुई
लाश के चारो ओर बैठकर विलखते रहते
जब बच्चा पूछेगा
कि बाबा आप लोग
‘बुआ फूलन’ क्यों नहीं बन गए ?
हम कुछ नहीं बोल पाएंगे
तब भी बैठे – बैठे हम आंसू बहाएंगे.
मेरा बच्चा मेरी गोंद से उठकर
मेरी आँखों में आँखें डालकर
घूरते हुए फूलन बन, वहां जाएगा
जहाँ कोई निहत्था लड़ रहा होगा
तलवार बाज हाथों से;
उस निहत्थे हाथ को मजबूत करेगा —
मनुष्यता के लिए
समानता के लिए
बंधुता के लिए l
- धर्मवीर यादव गगन
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