बलात्कार
बलात्कार
प्रतिदिन
प्रतिक्षण
होता है।।
कभी निगाहों से
कभी बाहों से-
अपने; मसलकर
बलात्कारी डँसता है।।
संस्कृति
सभ्यता
स्त्री का कोमल मन
वेदना से चीख़ता है।।
बेहोश
बेखबर
बदहवास बनकर
समाज सोता है।।
स्मिता तिवारी 'बलिया'
वो खुश नहीं है ---------------------- उसने कहा है वो खुश नहीं है ब्याह के बाद प्रेमी से हुई पहली मुलाकात में उदास चेहरे के साथ मिली किसी बाज़...
No comments:
Post a Comment