Sunday, 15 April 2018

पंकज चतुर्वेदी की कविता देश के हर नागरिक के लिए

देश के हर नागरिक के लिए
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देश के हर नागरिक के लिए
यह सज़ा है
कि वह जानता रहेगा
शर्मसार होगा
मगर इसे कभी
कह नहीं पायेगा :
'मेरी बच्ची !
तुम महफ़ूज़ नहीं हो !'

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