कमाल के कातिल हो
तुम भी!
ना खंजर पे
खून के निशान
ना माथे पर
कत्ल का इल्जाम
और लोगों के
दिलों में भी है
गज़ब का सम्मान
कि तुमने हत्या नहीं
वध किये हैं! !
और देखो ना!
तुम तो बलात्कार
करके भी अछूते
हो क्योंकि
वो अछूत थी!
तुम तो निपुण हो
कर्ज लेकर विदेश
चले जाते हो
और हम मूर्ख जाहिल
गंवार बेमतलब का
मर्ज लेकर जेल
जाते हैं ।
अन्नपूर्णा अनु
Friday 13 April 2018
बलात्कार के विरुद्ध कविता
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Featured post
कथाचोर का इकबालिया बयान: अखिलेश सिंह
कथाचोर का इकबालिया बयान _________ कहानियों की चोरी पकड़ी जाने पर लेखिका ने सार्वजनिक अपील की : जब मैं कहानियां चुराती थी तो मैं अवसाद में थ...
-
कुँवर नारायण की आत्मजयी को प्रकाशित हुए पचास साल से ज्यादा हो चुके हैं। इन पचास सालों में कुँवर जी ने कई महत्त्वपूर्ण कृतियों से भारतीय भा...
-
रंडी ―कुछ साल पहले की बात है मारिया शारापोवा को “रंडी” सिर्फ़ इसलिए कहा गया क्योंकि वह सचिन तेंदुलकर को नहीं जानती थीं! सोना महा...
No comments:
Post a Comment