Friday 13 April 2018

बलात्कार और उसके बाद- विहाग वैभव

'बलात्कार और उसके बाद"- विहाग वैभव

कई दिनों तक लड़की रोयी, बस्ती रही उदास
कई दिनों तक बड़की भाभी सोयी उसके पास
कई दिनों तक माँ की हालत रही बेतरह पस्त
कई दिनों तक बाबा दुअरे देते रह गये गस्त

निर्णय आया लोकतंत्र में कई दिनों के बाद
बरी हो गया ये भी अन्त में कई दिनों के बाद
हवशी हैं मुसकाकर झाँकें कई दिनों के बाद
फफक उठी घर भर की आँखें कई दिनों के बाद

(बाबा नागार्जुन ! तुम खुशनसीब थे कि ‘अकाल और उसके बाद ‘ लिखना पड़ा ,‘बलात्कार और उसके बाद‘ नहीं। हमारा दौर तो बलात्कार का है...)

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